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नोटबंदी पर फैसला आज,-सुप्रीम कोर्ट ने सात दिसंबर को फैसला रखा था सुरक्षित

नई दिल्ली, 02 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच आज नोटबंदी के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। बेंच के अध्यक्ष जस्टिस एस अब्दुल नजीर हैं। देश की सबसे बड़ी अदालत ने 7 दिसंबर को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा था कि नोटबंदी के नतीजों के बारे में न तो आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड को पता था और न ही केंद्रीय कैबिनेट को कोई जानकारी थी। सरकार ने ये फैसला लेने से पहले पुराने और नये नोटों के बारे में कुछ नहीं सोचा। उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या नोटबंदी का फैसला 24 घंटे के अंदर लिया जा सकता है।

चिदंबरम ने कहा था कि सरकार कहती है कि नोटबंदी जैसा कदम कालेधन को बाहर निकालने के लिए उठाया गया। लेकिन दो हजार रुपये का नोट शुरू करने के बाद तो कालेधन की जमाखोरी करना और ज्यादा आसान हो गया है। चिदंबरम ने वरिष्ठ वकील स्वर्गीय रामजेठमलानी से जुड़े एक केस का उदाहरण दिया था जिसमें उन्होंने अपने दावे को सही साबित करने के लिए कहा था कि एक सूटकेस में एक करोड़ रुपये आ सकते हैं। चिदंबरम ने कहा था कि दो हजार का नोट आने के बाद जेठमलानी को एक करोड़ रखने के लिए आधा सूटकेस ही बहुत होता।

केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि 2016 के पहले भी देश में दो बार नोटबंदी की गई। पहली नोटबंदी 1946 में और दूसरी नोटबंदी 1978 में हुई थी। नोटिफिकेशन की धारा 4 के मुताबिक ग्रेस पीरियड दिया जा सकता है। अटार्नी जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का ये कहना बेबुनियाद है कि नोटबंदी से आप्रवासी भारतीयों का अपमान हुआ। नोटबंदी का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस पर संसद ने चर्चा की। संसद ने पूरी चर्चा कर इसे मंजूरी भी दी।