नई दिल्ली। केंद्र सरकार की कुल देनदारी सितंबर के अंत में बढ़कर 147.19 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। इससे पहले जून तिमाही में यह 145.72 करोड़ रुपए थी। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी तिमाही में इसमें एक फीसदी की वृद्धि हुई है।
सितंबर के अंत में कुल देनदारी का 89.1 फीसदी
सार्वजनिक कर्ज प्रबंधन पर वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि इस साल सितंबर के अंत में सार्वजनिक कर्ज (Public Debt) कुल देनदारी का 89.1 फीसदी रहा। 30 जून को समाप्त तिमाही में ये आंकड़ा 88.3 फीसदी था। इसमें कहा गया है कि करीब 29.6 फीसदी सरकारी प्रतिभूतियां पांच साल से कम अवधि में मैच्योर होने वाली हैं।
रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने प्रतिभूतियों के जरिये 4,06,000 करोड़ रुपए जुटाए। जबकि उधारी कार्यक्रम के तहत रकम 4,22,000 करोड़ रुपए थी। सरकार ने 92,371.15 करोड़ रुपए की रीपेमेंट की। 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारांश औसत प्रतिफल बढ़कर 7.33 फीसदी हो गया। ये पहली तिमाही में 7.23 फीसदी था।
दूसरी तिमाही में नयी जारी प्रतिभूतियों के मैच्योर होने की भारांश औसत अवधि 15.62 साल थी। पहली तिमाही में ये 15.69 साल थी। सरकार ने जुलाई-सितंबर तिमाही में नकदी प्रबंधन के लिए अल्प अवधि की प्रतिभूतियों के जरिये कोई राशि नहीं जुटाई है। इस दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं कीं।
पिछले साल की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
रिपोर्ट बताती है कि विदेशी मुद्रा भंडार 30 सितंबर, 2022 को 532.66 अरब डॉलर रहा। 24 सितंबर, 2021 को ये 638.64 अरब डॉलर था। एक जुलाई, 2022 से 30 सितंबर, 2022 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 3.11 फीसदी नीचे आया है। सरकार के लिए रुपए का लगातार गिरना चिंता का विषय है, क्योंकि अर्थ व्यवस्था के तमाम पहलुओं पर रुपये की कमजोरी या मजबूती बहुत ज्यादा असर डालती है। रुपए के डॉलर के मुकाबले कमजोर होने का मतलब भारतीय मुद्रा का औंधे मुंह गिरना है। विदेशों से खरीद फरोख्त में ये चीज काफी अहम किरदार अदा करती है।