स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने से बदले ऊंचाहार के समीकरण
(अविनाश पाण्डेय)
रायबरेली (अमर चेतना ब्यूरो) स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने के बाद से ऊंचाहार विधानसभा में टिकटों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अभी तक किसी राजनीतिक दल ने ऊंचाहार विधानसभा में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में मोदी योगी लहर होने और सोनिया गांधी का गढ़ होने के बाद भी समाजवादी पार्टी के मनोज कुमार पांडेय ने यहां जीत दर्ज की थी। मोदी लहर होने के बावजूद भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे उत्कृष्ट मौर्य को चुनाव में शिकस्त दी थी। गौरतलब यह भी है की सपा और कांग्रेस दोनो पार्टियों ने मिलकर 2017 का चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों पार्टियों में ऊंचाहार को लेकर बात न बन पाने के कारण दोनो दलों ने यहां से अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन जीत मनोज पाण्डेय के खाते में गई।
अब स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में शामिल हो गए हैं खबर यह भी है की स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे उत्कृष्ट मौर्य के लिए लगातार बीजेपी में टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन बात नहीं बनी तो उन्होंने सपा का दामन थामा है । जाहिर सी बात है जब बात बेटे को टिकट दिलाने की थी तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बेटे को टिकट देने की शर्त जरूर रखी होगी। ऊंचाहार में इसी बात को लेकर वर्तमान विधायक मनोज पाण्डेय और उत्कृष्ट मौर्य के समर्थकों में सोशल मीडिया पर खींचतान जारी है। क्षेत्रीय लोगों की बात करें तो लोग बताते हैं की ऊंचाहार विधानसभा कांग्रेस का गढ़ रही है यहां से कभी सपा भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। मनोज पाण्डेय के आने के बाद यहां से लगातर समाजवादी पार्टी जीत रही है। लोगों का मानना है कि यहां सपा से अधिक मनोज पाण्डेय की लोकप्रियता को देखकर लोग वोट करते हैं। अगर सपा ने यहां से मनोज पाण्डेय के अलावा किसी को टिकट दिया तो यहां से सपा की हार होगी।
दूसरे दल भी मजबूत प्रत्याशी की कर रहे हैं तलाश
ऊंचाहार विधानसभा से किसको टिकट दिया जाए इस बात को लेकर भाजपा भी असमंजस की स्थिति में है। क्योंकि यहां पिछली बार भाजपा से स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे उत्कृष्ट मौर्य प्रत्याशी थे और वो अब सपा में शामिल हो चुके हैं। वैसे भाजपा से टिकट की मांग करने वालों की कतार लम्बी है। जिसमे भाजपा नेता अतुल सिंह क्षेत्र में लोगों से लगातार मिल रहे हैं तो वहीं भाजपा नेता सतीश तिवारी टिकट के लिए दिल्ली में डटे हुए हैं। उनके समर्थक क्षेत्र में उनके लिए प्रचार प्रसार कर रहे हैं और बता रहे है की सतीश तिवारी टिकट लेकर ही वापस आयेंगे। लेकिन क्षेत्र में खबर यह भी है की बीजेपी पिछले चुनाव की कमी इस चुनाव में पूरी करना चाह रही है क्यों रायबरेली के सारे विधायक अब बीजेपी में हैं ऊंचाहार को छोड़कर क्योंकि कांग्रेस के दोनो विधायकों ने भाजपा ज्वाइन कर ली है। अब ऊंचाहार में भी भाजपा से कांग्रेस का दामन थामने वाले कुंवर अजय पाल सिंह मुन्ना भईया की घर वापसी कराई जा सकती है। क्योंकि भाजपा किसी मजबूत प्रत्याशी की तलाश में है और कुंवर अजय पाल सिंह मुन्ना भईया के पास उनका मजबूत जनाधार भी है।2017 में बसपा से उम्मीदवार रहे पूर्व विधायक गजाधर सिंह के बेटे विवेक सिंह भी भाजपा से टिकट की फिराक में हैं। अब देखने वाली बात यह होगी की ऊंचाहार से भाजपा किसी दूसरे दल से आए नेता पर दांव लगती है या अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को मौका देगी। ऊंचाहार विधानसभा सीट ब्रह्मण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं इसलिए ही मनोज कुमार लगातार दो बार से विधायक हैं । भाजपा से टिकट के दावेदारों की बात करें तो सतीश तिवारी का नाम पहले आता है क्योंकि सतीश तिवारी क्षेत्रीय है और इसकी लोकप्रियता हर वर्ग में है। ऐसे में भाजपा सतीश तिवारी पर दांव लगा सकती है।
बसपा की भी मंशा साफ नहीं
स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी बीएन मौर्य की बेटी अंजली मौर्या बसपा से टिकट की दावेदारी कर रही हैं उन्हें ऊंचाहार विधानसभा का प्रभारी भी बनाया गया है।लेकिन स्वामी प्रसाद के सपा में शामिल होने के बाद अंजली मौर्य का टिकट कट सकता है। क्यों की पंचायत चुनाव में यह बात किसी से नहीं छिपी की स्वामी प्रसाद मौर्य के इसारे पर ही ऊंचाहार से ब्लॉक प्रमुख चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अजय मौर्य ने अंजली मौर्य की मां को वोट कर दिया था।
वैसे जितना लोग अपने टिकट के लिए परेशान हैं उससे अधिक ऊंचाहार की जनता को टिकट किसको मिलेगा इस बात को लेकर इंतजार है।