नदी में नालों की गंदगी जाने पर की गई कार्रवाई
कानपुर, 06 जनवरी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में पांडु नदी को मैला करने के मामले में नगर निगम की लापरवाही की पोल खुल गई है। मामले को गम्भीरता से लेते हुए नगर निगम पर 25 लाख का जुर्माना लगाया है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम के पर्यावरण अधिकारी कहना है कि इसके खिलाफ न्यायालय में अपील करेंगे।
मानसून का हवाला देकर जुलाई से लेकर नवंबर तक कानपुर के रतनपुर नाले का प्रतिदिन रोजाना करोड़ों लीटर सीवेज सीधे पांडु नदी में गिरता है। नाले के दूषित पानी का बायोरेमिडियेशन ट्रीटमेंट नहीं किया गया और उसे खुलेआम नदी में छोड़ दिया और परिणाम स्वरूप नदी मैली हो गई।
दूषित पानी से नदी को बचाने के लिए लगा है करोड़ाें का ट्रीटमेंट प्लांट
गौरतलब है कि पांडु नदी को मैला होने से बचाने के लिए रतनपुर नाले पर बायोरेमिडियेशन ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है। लेकिन जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने नाले की जांच की तो बायोरेमिडियेशन ट्रीटमेंट बंद मिला। खुलेआम रतनपुर नाले की गंदगी पांडु नदी में जा रही थीं। जुलाई से लेकर नवंबर तक 5 महीने ट्रीटमेंट नहीं किया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पांच लाख रुपये प्रति माह जुर्माने की संस्तुति की थी। जिस पर प्रदूषण बोर्ड मुख्यालय ने 25 लाख रुपये जुर्माना लगा दिया है।
जांच में खुली नगर निगम प्रशासन की पोल
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में नगर निगम प्रशासन की पोल खुल चुकी है। रतनपुर नाले समेत तीन अन्य नालों की जांच में भी बायोरे मिडियेशन ट्रीटमेंट न होने की पुष्टि हुई है। ऐसे में प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों ने मुख्यालय से तीन अन्य नालों की जांच में लापरवाही बरतने पर 25 लाख रुपये प्रति नाला जुर्माने की संस्तुति की है।
दूषित पानी का ट्रीटमेंट न होने पर जिलाधिकारी नाराज
नालों के ट्रीटमेंट प्लांट बंद होने की जानकारी जिलाधिकारी को हुई तो उन्होंने नाराजगी जाहिर की। नगर निगम ने मानसून में प्लांट न चलने का हवाला देकर खुद ही बंद करने का फैसला ले लिया। इससे पांच महीने तक खुलेआम पूरी गंदगी सीधे पांडु नदी में गई। वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण अभियंता आर.के पाल का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गलत कार्रवाई की है। बारिश के दिनों में हर नाले खोल दिए जाते हैं। किसी नाले का बायोरेमिडियेशन ट्रीटमेंट नहीं होता है। इसके खिलाफ वह न्यायालय में अपील करेंगे।