लखनऊ। रामचरितमानस पर समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान को लेकर उप्र के साथ ही पूरे देश में विवाद मचा हुआ है। अब इस पर सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य को हराने वाली सपा नेता पल्लवी पटेल ने भी अपना पक्ष रखा है। पल्लवी ने तुलसीदास को संत नहीं बल्कि एक अनुवादक बताया है और कहा है कि वह रामचरितमानस में भरोसा नहीं करतीं।
उन्होंने कहा कि रामायण के बहुत से खंड हैं और उसे बहुत से लेखकों ने लिखा है। तुलसीदास ने उन्हीं का अनुवाद किया है। उन्होंने उन सभी रामायण से अंश लेकर, अनुवाद कर और उसमें अपने विचार जोड़ते हुए रामचरितमानस लिखा है। इसमें प्रयोग किए गए विवादित शब्दों को लोगों के मन से हटाने के लिए एक बड़ा आंदोलन करना होगा।
पल्लवी ने कहा कि अब रामचरितमानस की जिन चौपाइयों की बात हो रही है, देखें तो वैसे ही कुरआन में भी लिखा है कि बुतपरस्ती हराम है। इतिहासकार ने कहा है कि बुतपरस्ती में जो लोग हैं, काफिर हैं। मैं ऐसा नहीं मानती और न विश्वास करती हूं। हमारे लिए मूर्तिपूजन साकार ब्रह्म है। जिसको मैं मानती नहीं, उस पर बात नहीं करती। उन्होंने आगे कहा कि किसी पंक्ति को हटाना या शब्द को हटाना अहम नहीं है। महत्वपूर्ण है कि वो शब्द लोगों के अंतररात्मा में दिमाग में छपा है। अगर हमें हटाना है और विरोध करना है तो हमें अपने आंदोलन को इतना बड़ा करना होगा कि वो शब्द हमारे दिमाग से हटे और आत्मा से हटे।
सपा विधायक पल्लवी पटेल ने कहा कि रामचरितमानस की चौपाई में गलत ये है कि उसमें शूद्र बोला जाता है और लोगों के दिमाग में शू्द्रों के लिए जो हमेशा से रहा है, जिस प्रकार से दमन किया गया है, जिस प्रकार से शोषण हुआ है, वह हटना चाहिए। पटेल ने साफतौर पर कहा कि मैं रामचरितमानस में विश्वास नहीं करती और तुलसीदास को अनुवादक मानती हूं। संत न मानते हुए मैंने ये माना कि वो ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सभी रामायणों को पढ़ते हुए एक नई पुस्तक लिखी। इन शब्दों को लोगों के मानस से हटाने के लिए एक आंदोलन होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को हटाए जाने को लेकर टिप्पणी की गई थी। इसको लेकर जहां एक ओर हिन्दू संगठन विरोध में है तो कुछ समर्थन कर रहे हैं। इस पर अब उनकी ही पार्टी की विधायक पल्लवी पटेल भी बयान देकर सुर्खियों में आ गई हैं।