उन्होंने कहा, ‘‘हम नेताजी को केवल इसलिए याद नहीं करते क्योंकि हम स्वतंत्रता संघर्ष में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए उनके आभारी हैं, बल्कि इसलिए भी कि उनके गुणों को आत्मसात करें कि उनका भारत को महान बनाने का सपना अभी पूरा नहीं हुआ है। हमें इसे हासिल करने के लिए काम करना होगा।” भागवत ने कहा कि स्थिति और रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक ही है।
उन्होंने कहा, ‘‘सुभाष बाबू (नेताजी) ने कांग्रेस से जुड़े रहने के दौरान ‘सत्याग्रह’ तथा ‘आंदोलन’ के मार्ग का अनुसरण किया, लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि यह काफी नहीं है और स्वतंत्रता के लिए लड़ने की जरूरत है तो उन्होंने इस दिशा में कदम उठाया। रास्ते अलग-अलग हैं, लेकिन लक्ष्य एक हैं।” आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘अनुसरण करने के लिए सुभाष बाबू के आदर्श हमारे सामने मौजूद हैं। उनके जो लक्ष्य थे, वही हमारे भी लक्ष्य हैं…।”
उन्होंने कहा कि नेताजी ने कहा था कि भारत को दुनिया के लिए काम करना चाहिए और ‘‘हमें यही लक्ष्य हासिल करने के लिए काम करना है।” भागवत ने दावा किया कि देश ने बोस और उनके बलिदानों के साथ न्याय नहीं किया। उन्होंने कहा कि नेताजी ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने द्वारा चुने गये मार्ग को लेकर आलोचना का सामना किया, लेकिन यह उन्हें उनके पथ से नहीं डिगा सका। उन्होंने कहा कि नेताजी की तरह आरएसएस भी राष्ट्र निर्माण के विचार को बढ़ावा देता है।