प्रतापगढ़। ……. मैं आपकी दोस्त डाल्फिन हूं। समुद्र का प्यार लेकर मां गंगा की गोद में बांटने निकली हूं। मुझे मत मारो, मैं आप मानवों के साथ सदैव खुश रहने वाली दोस्ताना व्यवहार की कायल भी तो हूं। भारत सरकार के राष्ट्रीय जलीय जीव के रूप में संरक्षित डाल्फिन प्रतापगढ़ के लालगंज क्षेत्र में नहर में मिली तो मानो कई बार वह अपने चोंच उठाकर लोगों से दोस्ती के पैगाम के नाम पर मासूमियत के साथ अपनी सुरक्षा का कवच भी मांग रही थी। समुद्र में जल जीव के रूप में मिलने वाली डाल्फिन की मान्यता आम तौर पर दुनिया में ब्लैक फिश के रूप में है। डाल्फिन की छः प्रजातियां स्वीकार की जाती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि डाल्फिन से मानव को कोई खतरा नही हुआ करता है। डाल्फिन अपने दोस्ताना व्यवहार और हमेशा खुश रहने की आदत से मानव प्रजाति में भी सर्वाधिक लोकप्रिय है। डाल्फिन इस समय भारत में लगभग न के बराबर हैं। इसलिए भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय जलीव जीव के रूप में संरक्षित करने का कानून भी बना रखा है। डाल्फिन को पृथ्वी पर दुनिया के कुछ बुद्धिमान जलजीव में प्रमुख माना जाता है। यह अक्सर मानव के साथ घुल-मिलकर उसी की तरह उछल कूद भी करने का नकल उतारा करती हैं। डाल्फिन की छलांग और इसका गोता लगाकर अठखेलियां करना मानव को सदैव अपने करीबीपन का एहसास करा जाता है। डाल्फिन मानव चिकित्सा विज्ञान के लिए भी सहायक मानी जाती हैं। भारत की संस्कृति और सभ्यता सभी प्राणियों और जीवों के प्रति दया की बनी हुई आ रही है। ऐसे मे भारत को ऐसे जलजीव प्राकृतिक रूप से भी अपने संरक्षण का सर्वाधिक सुरक्षित स्थान होने का एहसास किया करते हैं। समुद्र में पल पोषकर बड़ी होने वाली डाल्फिन का भारत में रहन सहन का स्थान पतित पावनी गंगा हैं। गंगा की अविरल धारा में मन की शुद्धता के साथ डाल्फिन भी जीवों मे दोस्ती के मिठास का संदेश प्रवहमान बनाए रखा करती हैं। दो दिनों से नहर मे कहीं झाड फूस तो कहीं चेकडैम मे फंसने के कारण डाल्फिन के बदन पर खरोंचे भी उभर आयीं। इसके बावजूद डाल्फिन दर्द को छिपाये जो उसे जिस तरफ भेजना चाहता था वह उसी भोलेपन के साथ उसी तरफ एक छोर से दूसरे छोर टहल रही थी। डाल्फिन की सुरक्षा को लेकर प्रशासन जरूर हलाकान हो उठा है। अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर इस समुद्री जलजीव की पहचान होने के कारण प्रशासन डाल्फिन की सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम भी उठाने को तैयार नही दिखा। अब लोगों की नजर डाल्फिन को सुरक्षित गंगा मे पहुंचाने के रेस्क्यू की तरफ आ टिकी है। डाल्फिन पहले भी प्रतापगढ़ आयी थी। लेकिन उस बार दोस्ती के नाम पर उसे मौत कुबूल करना पड़ा था। इस बार डाल्फिन को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट भी है और उसकी सुरक्षा के चाक चौबन्द प्रबन्ध भी नजर आ रहे हैं। मानव के साथ घुल मिलकर दोस्ती का संदेश देने वाली डाल्फिन शायद जब भी अपनी चोंच उठाती है तो वह यही अल्फाज लिये होती है कि हे समझदार मानव, मुझे अपना दोस्त बनाए रखना, धैर्य के साथ मुझे मां गंगा की गोद मे पहुंचने दो। ताकि तुम्हारे मुल्क की मोहब्बत और दोस्ती का पैगाम सात समुन्दर पार तक जिन्दाबाद रहे……।