– नमामि गंगे परियोजना की प्रगति की मुख्यमंत्री ने की समीक्षा
लखनऊ, 21 दिसंबर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को नमामि गंगे परियोजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की। लोकभवन में हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज कुंभ 2025 के प्रारंभ होने से पहले तक मां गंगा को अविरल-निर्मल बनाने का संकल्प पूर्ण करें। नदियों को सीवरेज के गंदगी और पानी को विषाक्त होने से बचाने के लिए एसटीपी लगाए जाने की कार्यवाही में तेजी लाएं। गंगा सहित सभी नदियों की अविरलता एवं निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए और प्रयास किए जाएं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में वर्ष 2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक कानपुर में हुई थी। अब आगामी 30 दिसंबर को राष्ट्रीय गंगा परिषद की दूसरी बैठक प्रस्तावित है। तदनुरूप आवश्यक तैयारी समय से पूरी कर ली जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना गंगा के साथ-साथ सहायक नदियों के लिए भी है। कानपुर के जाजमऊ एवं सीसामऊ में गंगा में गंदे पानी को गिरने से रोकने के लिए प्रभावी प्रयास किया गया है। आज यह सेल्फी प्वाइंट बन गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मां गंगा उत्तर प्रदेश को प्रकृति प्रदत्त अनुपम उपहार हैं। गंगा के बहाव का सर्वाधिक क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है। यह हमारी आस्था का केंद्र बिंदु हैं तो अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार भी हैं। गंगा एवं सहायक नदियों को अविरल-निर्मल बनाने के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में जारी नमामि गंगे परियोजना के अत्यंत संतोषप्रद परिणाम देखने को मिले हैं। गंगा एवं सहायक नदियों की स्वच्छता के इस अभियान में केंद्र एवं राज्य सरकार के प्रयासों में जनसहयोग भी प्राप्त हो रहा है। आज गंगा में डॉल्फिन की वापसी हुई है तो तकनीक का प्रयोग कर नदियों को स्वच्छ बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मां गंगा अनादिकाल से हमारी आस्था का केंद्र रही हैं। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में अब यह आस्था के साथ अर्थव्यवस्था का अवलंब भी बन रही हैं। ‘अर्थ गंगा’ अभियान का सर्वाधिक लाभ उन करोड़ों लोगों को होगा जिनकी आजीविका गंगा पर ही निर्भर है। अर्थ गंगा से सकल घरेलू उत्पाद में तीन प्रतिशत का योगदान होने के लक्ष्य के साथ हमें ठोस प्रयास करना होगा। विशेषज्ञों की सहायता से इसे एक मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए प्रयास किये जाएं।
किसानों की आय बढ़ाने और विषमुक्त खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने गंगा के दोनों तटों पर पांच-पांच किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। प्रदेश में 27 जनपद गंगा से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा बुंदेलखंड के सात जिलों में प्राकृतिक खेती के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है। वर्तमान में लगभग 85 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती हो रही है। इस बार यहां उत्पादन अच्छा हुआ है। जीरो बजट वाली इस खेती के अच्छे परिणामों के तुलनात्मक रिपोर्ट के साथ किसानों को जागरूक किया जाए। राज्यस्तरीय प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन भी किया गया है। प्राकृतिक खेती के अभियान से अधिकधिक किसानों को जोड़ा जाना चाहिए।
अब तक प्रदेश में 66 हजार 180 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती तहत लाया गया है। एक लाख से अधिक किसान जैविक खेती से लाभान्वित हो रहे हैं। सभी किसानों को भारत सरकार के जैविक खेती पोर्टल से जोड़ा जाए। जैविक उत्पादों की पहचान करने और गुणवत्ता सुनिश्चित के लिए सभी मंडल मुख्यालयों पर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। इसी प्रकार सभी कृषि मंडियों में जैविक उत्पाद के आउटलेट भी स्थापित किए जाएं।
उन्होंने कहा कि गंगा के किनारे अनेक तीर्थ क्षेत्र, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थल और असीम प्राकृतिक सुंदरता है। हमें इन क्षेत्रों में पर्यटन की नवीन संभावनाओं को बढ़ावा देना चाहिए। यहां एडवेंचर टूरिज्म, वॉटर स्पोर्ट टूरिज्म की अपार संभावना है। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से इस दिशा में वाराणसी में प्रेरक प्रयास हुआ है। हमें रिवर क्रूज टूरिज्म, वॉटर स्पोर्ट, कैम्पिंग सुविधाओं के साथ वन्य जीव पर्यटन के मॉडल को विकसित करना चाहिए।
महिला स्वयं सहायता समूहों, भूतपूर्व सैनिकों आदि के सहयोग से गंगा नर्सरी विकसित करने के प्रयास किये जायें। यहां हमें नर्सरी से लेकर फलों के प्रसंस्करण बाकी पूरी वैल्यू चेन बनानी चाहिए। यह ”गंगा उत्पाद” गंगा किनारे के लोगों के लिए आय के स्थायी साधन बन सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण, नदियों की स्वच्छता, नदी पुनर्जीवन, स्वच्छता के अभियान से बच्चों को भी जोड़ा जाना चाहिए। माध्यमिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम में इस विषय को शामिल किया जाए। युवक मंगल दल, महिला मंगल दल के माध्यम से समाज को जागरूक करने के प्रयास हों।