✍️ गौरव सिंह
फतेहपुर में जनपद मुख्यालय समेत कस्बों व गांवों में झोलाछाप आम लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। बिना रजिस्ट्रेशन के दर्जनों लोग अस्पताल चला रहे हैं।
हालत यह है कि पॉली क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन कराकर नर्सिंगहोमों का संचालन किया जा रहा है।
जिनमें नर्स समेत कोई स्टाफ की उपलब्धता नहीं है।
इधर-उधर से डिग्रियां हासिल करने का दावा कर मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
स्वास्थ्य महकमा दिनोंदिन कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण रात-दिन ड्यूटी में लगा है।
ऐसे में इन झोलाछापों की तरफ ध्यान देने वाला कोई नहीं है।
गरीबों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने वाले झोलाछापों का मकड़जाल मुख्यालय से लेकर कस्बों व गांवों तक फैला है।
जगह-जगह बोर्ड लगाकर उनमें विभिन्न प्रकार की डिग्रियां लिखाकर इलाज के नाम पर लोगों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
केवल क्लीनिक के नाम पर एलोपैथ एवं आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक के प्राइवेट अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन है। कुछ लोगों ने यूनानी से भी रजिस्ट्रेशन करा रखा है। कोरोनाकाल में पूरा स्वास्थ्य महकमा जांच से लेकर कांट्रेक्ट ट्रेसिंग व इलाज आदि में लगा है। कोरोना संक्रमण भी तेजी से बढ़ा है।
सरकारी अस्पतालों में लोगों को इलाज के नाम पर धक्के खाने पड़ रहे हैं।
चिकित्सक दूर से ही मरीजों को देखकर इलाज के नाम पर खानापूरी कर रहे हैं।
ऐसे में इन प्राइवेट अस्पतालों की चांदी है।
गांवों में देखा जाए तो हर जगह झोलाछाप इलाज करते नजर आते हैं।
घरों में नाममात्र दवाएं रखकर लोगों को लूटने का काम कर रहे हैं।
प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को गंभीर बताकर भर्ती किया जाता है।
इसके बाद शोषण करके उनको रेफर कर दिया जाता है। नर्सिंगहोम का रजिस्ट्रेशन भी नहीं है, फिर भी कुछ लोग चला रहे हैं।
इनके पास नर्सिंगहोम जैसी सुविधाएं व स्टाफ का अभाव है। एक-दो कमरों में ही संचालन किया जा रहा है।
मुख्यालय में ही कुछ प्राइवेट अस्पताल है, जिनमें कई-कई डाक्टर मौजूद रहते हैं।
पिछले साल स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चलाकर प्राइवेट अस्पतालों में छापेमारी कर कागज मांगे थे।
बाद में कागज न मिलने पर एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी।