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प्रयागराज : 34 साल की नौकरी में 18 साल से ज्यादा प्रयागराज में तैनात रहे आईजी के.पी.सिंह का हुआ ट्रांसफर

  • संगम नगरी में सेवा की लंबी रेखा खींच गए आईजी केपी सिंह, सफल कुंभ के लिए मिली तारीफ तो महंत की मौत के बाद विवादों में भी घिरे

महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद उनके शिष्य रहे आनंद गिरि ने कई संगीन आरोप केपी सिंह के ऊपर लगाए थे। महंत की मौत के बाद घटना स्थल पर सबसे पहले पहुंचे थे आईजी केपी सिंह।

प्रयागराज। अयोध्या स्थानांतरित किए गए आईजी केपी सिंह ने अपने 34 साल के सेवाकाल का आधे से ज्यादा समय प्रयागराज में गुजारा। केपी सिंह की छवि मिलनसार व सर्वसुलभ अफसर के रूप में रही। दो बार कुंभ के सफल आयोजन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि महंत की मौत के बाद मठ से रिश्तों को लेकर वह विवादों में भी घिरे। शुक्रवार को स्थानांतरण के बाद उनका प्रयागराज से पिछले पांच वर्षों से लगातार रहा नाता छूट गया।

मूल रूप से मिर्जापुर के रहने वाले आईजी केपी सिंह 1987 बैच के पीपीएस अफसर हैं। 2002 में वह स्टेट पुलिस से आईपीएस में प्रोन्नत हुए। 2012-13 के कुंभ में सफल भूमिका को देखते हुए 2019 के कुंभ में उन्हें ही कमान सौंपी गई। उन्होंने कुंभ का सफलतापूर्वक आयोजन कराकर तारीफें भी बटोरीं। लेकिन कुछ कारणों से वह विवादों में घिरे। 34 वर्षों के सेवा काल में 18 साल, सात महीने और आठ दिन प्रयागराज में तैनात रहने को लेकर भी वह काफी चर्चा में रहे।

यह चर्चा तब और तेज हो गई जब अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद उनके व मठ के रिश्तों को लेकर सवाल उठे। कभी महंत के साथ ही उनके बेहद करीबियों में शुमार आनंद गिरि की ओर से लगाए गए आरोपों से भी उनका नाम विवादों में रहा। हरिद्वार में गिरफ्तारी से पहले और फिर गिरफ्तारी के बाद भी आनंद गिरि ने उन पर गंभीर आरोप लगाए और महंत की मौत को लेकर उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए।

मठ-मंदिर और महंत से करीबी भी रही चर्चा में

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की जिम्मेदारी संभालने के बाद साधु-संतों व अखाड़ों से उनका लगाव लाजिमी था। लेकिन बाघंबरी मठ, हनुमान मंदिर और महंत नरेंद्र गिरि से करीबी को लेकर वह खासा चर्चा में रहे। मठ से उनकी करीबी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महंत की संदिग्ध हाल में मौत की सूचना भी शिष्यों व सेवादारों ने स्थानीय पुलिस से भी पहले उन्हें दी। इससे पहले निरंजनी अखाड़े के सचिव आशीष गिरि की संदिग्ध हाल में मौत के मामले में भी मौके पर सबसे पहले पहुंचने वाले पुलिस अफसरों में वह ही शामिल थे।

कब-कब रहे प्रयागराज में

16 अगस्त 1991 से 20 जनवरी 1994 यानी 2 साल 5 महीने और 4 दिन बतौर सीओ

8 मई 1995 से 28 मई 1997 तक यानी 2 साल 20 दिन पीएचक्यू में सीओ

16 जुलाई 2004 से 31 जनवरी 2006 तक यानी 1 साल 5 महीना और 15 दिन तक एसपी यमुनापार

31 जनवरी 2006 से 4 फरवरी 2009 तक 3 साल 4 दिन तक एडिशनल एसपी पुलिस मुख्यालय

5 महीने यूपी एसटीएफ में एडिशनल एसपी रहने के बाद फिर वापस

25 जुलाई 2009 से 16 अप्रैल 2011 तक एक साल 8 महीने 21 दिन इंटेलिजेंस यूनिट में एडिशनल एसपी

2012 में 9 महीने यानी 23 जून 2012 से 25 मार्च 2013 तक एसपी कुंभ

25 मार्च 2013 को कुंभ खत्म होने के अगले ही दिन पुलिस मुख्यालय में एसपी कार्मिक। 21 सितंबर 2015 तक यानी 2 साल 5 महीने 27 दिन तक।

आईपीएस बने तो 10 फरवरी 2016 से 28 अप्रैल 2017 तक यानी एक साल 2 महीने 18 दिन एसपी जीआरपी इलाहाबाद
एसपी जीआरपी से 4.5 महीने इलाहाबाद से सटे फतेहपुर में बतौर एसपी। फिर 26 सितंबर 2017 से एक साल 3 महीने 23 दिन यानी 18 जनवरी 2019 तक को इलाहाबाद पीएसी में कमांडेंट।

2019 कुंभ से पहले 19 जनवरी 2018 से एसपी कुंभ मेला। 1 जुलाई 2019 तक यानी एक साल 5 महीने 11 दिन तक रहे तैनात।

डीआईजी बनने पर 2 जुलाई 2019 को डीआईजी रेंज प्रयागराज

एक जनवरी 2020 को प्रोन्नति के बाद आईजी रेंज प्रयागराज बनाए गए

प्रयागराज रेंज में 2 साल 3 महीना और प्रयागराज में रहते हुए पांच साल बाद अयोध्या स्थानांतरित।