फतेहपुर। ऐतिहासिक 10 दिवसीय रामलीला के पांचवें दिन श्री स्वामी चंद दास नवयुवक रामलीला कमेटी द्वारा दशरथ मरण श्री राम निषाद राज मिलन और भरत का श्री राम से मिलने 1:00 के लिए जाना लीला का मंचन कलाकारों द्वारा कराया गया
भगवान की आरती के बाद लीला की शुरुआत होती है ! श्री राम माता सीता और लक्ष्मण वन के लिए प्रस्थान कर गए! राजा दशरथ अपने मंत्री सुमंत को उन्हें वापस लाने के लिए भेजते हैं !और बार-बार सुमंत के कहने के बाद भी श्री राम माता सीता और लक्ष्मण तीनों में से कोई भी वन से वापस नहीं आता सुमंत वापस आ जाते हैं !और पूरी बात राजा दशरथ से बताते हैं! तभी राजा दशरथ सुमंत को उनके द्वारा माता पिता के भक्त श्रवण कुमार की मृत्यु किस प्रकार दशरथ के द्वारा हुई पूरी बात बताते हैं! और कहते हैं इसी वजह से आज वह भी अपने पुत्रों से दूर हैं! और अपार दुख है इसके बाद विलाप करते हुए राजा दशरथ अपने प्राण त्याग देते हैं! यह दृश्य देखकर भक्त भी अपने आंसू नहीं रोक पाते हैं !
उधर भरत और शत्रुघ्न भी नाना के घर से वापस आ जाते हैं ! और पूरी बात सुनने के बाद बहुत ही दुखी होते हैं !तथा अपने बड़े भाई से मिलने के लिए और उन्हें वापस लाने के लिए दोनों भाई वन के लिए प्रस्थान करते हैं! उधर श्री राम निषादराज से मिलते हैं! और निषादराज की आज्ञा पाकर केवट उन्हें गंगा पार कराने की बात कहते हैं !लेकिन कहते हैं हम आपको गंगा पार कराएं और आप हमें परिवार सहित भवसागर से पार करा दे गंगा पार जाकर राम सीता लक्ष्मण विश्राम करते हैं! उधर भरत और शत्रुघ्न सेना के साथ वन पहुंच जाते हैं! लेकिन श्री राम वापस नहीं आते हैं! वही भरत भी प्राण करते हैं कि जब तक आप वापस नहीं आएंगे !मैं राज सिंहासन में नहीं बैठूंगा! और श्री राम की खड़ाऊ लेकर कहते हैं! कि आप नहीं तो आप ही खड़ा हूं ही सिंहासन में विराजमान होगी और वापस आने के लिए विदा लेते हैं!
दशरथ मरण केवट द्वारा भगवान से विनती करना और राम भरत मिलन को देखकर भक्त भी भावुक हो जाते हैं! और लीला का भी मंचन बड़े ही सुंदर ढंग से किया गया!
इस मौके पर रामलीला कमेटी के के अध्यक्ष नयन सिंह एवं अन्य पदाधिकारी और सैकड़ों की संख्या में भक्त मौजूद थे!