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हसवा कस्बे की रामलीला में राम वनवास की लीला का मंचन हुआ

  • हसवा कस्बे की रामलीला में राम वनवास की लीला का मंचन हुआ
  • राम को वन जाते देख भक्त नहीं रोक पाए अपने आंसू.

हसवा : ऐतिहासिक 10 दिवसीय रामलीला के चौथे दिन गैर जनपदों से आए हुए कलाकारों द्वारा राम वनवास लीला का मंचन बड़े ही सुंदर ढंग से किया गया!
कस्बा की रामलीला के चौथे दिन भगवान की आरती के बाद लीला की शुरुआत होती है !और राजा दशरथ भगवान राम को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए अयोध्या का राजा बनाने की घोषणा करते हैं! यह बात जैसे ही रानी कैकेई कि सेविका मंथरा को पता चलता है !वह रानी से कहती है कि अपने दो वचन राजा दशरथ से मांग ले यह बात सुनकर भरत की मां कोप भवन में चली जाती है! राजा दशरथ उनके पास पहुंचते हैं !और कोप भवन में पहुंचने का कारण पूछते हैं !तब रानी कहती हैं कि देखी आपने जो मुझे दो वचन देने को कहा था! वह आज पूरा करिए लेकिन पहले शाम की सौगंध खाएंगे तभी वचन मांगूंगी राजा दशरथ कहते हैं! रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई और का वर मांगो
रानी अपने वचन में श्री राम की जगह भरत को अयोध्या का राजा और दूसरे वचन में राम को 14 वर्षों का वनवास मांगती है !जिसे सुनकर राजा दशरथ बहुत दुखी होते हैं!
राजा दशरथ और भारत की मा की की आज्ञा पाकर वन जाने को तैयार हो जाते हैं! उनके साथ छोटे भाई लक्ष्मण और जनकनंदिनी सीता भी बन जाने को तैयार हो जाती हैं! तीनों सभी से विदा लेते हुए उनके लिए प्रस्थान करते हैं! उनके साथ अयोध्या की जनता भी पीछे पीछे चल देती है! जिन्हें रोकपाना राम के लिए बहुत ही मुश्किल होता है! किसी तरह से समझा-बुझाकर उनको रोका जाता है !!राम बनवास का दृश्य देखकर सैकड़ों की संख्या में मौजूद भक्त अपने आंसू नहीं रोक पाते हैं!

इस मौके पर श्री स्वामी चंद दास नवयुवक रामलीला कमेटी के सभी पदाधिकारी और सैकड़ों की संख्या में भक्त मौजूद थे!