लखनऊ (अमर चेतना)। उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार के कार्यकाल के दौरान 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले की जांच ने अब गति पकड़ ली है। इस घोटाले की जांच कर रही उत्तर प्रदेश विजिलेंस ने पूर्व मंत्रियों के बयान दर्ज करने के बाद अब अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी शुरू कर दी है।
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में अब राजकीय निर्माण निगम व खनन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों से जल्द पूछताछ की तैयारी है। इससे पूर्व सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) लिपिक संवर्ग के कुछ कर्मचारियों से पूछताछ कर सकता है। अब तो स्मारक घोटाले में कुछ अन्य आरोपितों के विरुद्ध भी आरोपपत्र दाखिल किए जाने की तैयारी है।
विजिलेंस ने स्मारक घोटाले में बीते दिनों नामजद आरोपित पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए थे। हालांकि दोनों पूर्व मंत्रियों ने कार्यों के आवंटन को लेकर सवालों पर सारी जिम्मेदारी तकनीकी कमेटियों, कार्यदायी संस्थाओं व तत्कालीन अधिकारियों पर डाल दी थी। विजिलेंस अब निर्माण कार्यों से जुड़ीं करीब 50 फाइलों का अध्ययन करने के साथ ही दोनों पूर्व मंत्रियों के बयानों का परीक्षण कर रही है। इस दौरान कार्य आवंटन से जुड़े निर्णयों को लेकर तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ से पहले कुछ लिपिक व अन्य कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा सकती है। इस माह के अंत तक विजिलेंस पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर सकती है।
(विजिलेंस ने जनवरी, 2014 में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दोनों पूर्व मंत्रियों समेत 199 आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई थी। स्मारक घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रहा है।