अमर चेतना
ऊंचाहार रायबरेली: कहते हैं की बाल्यावस्था में लगी मन को ठेस जीवन के आखिरी समय तक व्यक्ति को कोसती रहती है। ऐसा ही एक मामला रोहनिया विकास खंड की ऐहारी बुजुर्ग ग्राम सभा में देखने को मिला है। जहां के एक युवा के मन में बचपन में लगी वो ठेस आज ना जीने देती है ना मरने देती है। बताते हैं पूरा मामला क्या है ऐहारी ग्रामसभा निवासी एक युवक ने एक पत्र वायरल किया है जो लोगों को चौकाने वाला है। चौकाने की वजह और कुछ नहीं उसमें लिखे दावे हैं। दरअसल ऐहारी बुजुर्ग के रहने वाले अविनाश पाण्डेय नाम के एक युवक ने एक पत्र भेज कर गांव वालों से गांव के विकास में सहयोग करने की अपील की है जबकि पंचायत चुनाव के लिए अभी काफी दिन बाकी हैं। आपको बताते चलें की पत्र में अविनाश पाण्डेय ने अपने बचपन में जो गरीबी और सरकार और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी देखी थी वही दर्द लोगों के सामने बयां किया है। अविनाश बताते हैं की उनका बचपन झोपड़ी में गुजरा है। 2002में आए भीषण तूफान की बात करते हुए रोने लगते हैं और कहते हैं की मैं छोटा था बहुत तेज तूफान आया था झोपड़ी झूले की तरह झूम रही थी और पिता जी आपने जान की परवाह किए बगैर सामने झोपड़ी को पकड़ कर लटक गए थे ताकी हम लोगों को आंच ना आए। अंत में झोपडी की सिर्फ ठाट बची और पूरे परिवार के लोगों ने चारपाई के नीचे जीवन गुजारा था । हमारा प्रयास है की किसी बच्चे को ऐसा दिन फिर कभी न देखना पड़े। गांव में बच्चियों की शादी के लिए काफ़ी योजनाएं हैं लेकिन अनपढ़ और निष्क्रिय प्रधानों को जब कुछ पता नहीं है तो लाभ क्या दिलवाएंगे। अंततः लोग अपनी बच्चियों की शादी या तो ब्याज पर कर्ज लेकर करते हैं या फिर खेत बेच कर जिससे हमे निजात दिलानी है। लोगों को गंभीर बीमारी होने पर अपना खेत बेचना पड़ता है। पैसों की मजबूरी और गरीबी के चलते लोगों को बाहर जाना पड़ता है ना गांव में अस्पताल है ना बारातघर है, आंगनवाड़ी है तो भवन नहीं है लोगों को रोजगार मिले इसके लिए कोई मार्केट नही है। बच्चों को खेलने का मैदान नहीं है।और जो भी प्रधान होता है वो सिर्फ लूट की भावना लेकर पांच साल मनरेगा सरकारी हैंडपंप रिबोर, आवास आवंटन में धन उगाही और सामुदायिक शौचालय के नाम पर सिर्फ जनता को बेवकूफ बनाता है। जिसको योजना का पता नहीं वो योजनाओं का लाभ क्या दिलवाएगा। न कभी स्कूलों के शिक्षा स्तर को देखेगा। पत्र में कई अहम दावे किए गए हैं जैसे स्कूलों को मॉडर्न बनाना, लोगों की देखभाल करना, बच्चियों की शादी में अनुदान दिलवाना, गांव में प्रतिष्ठित रोजगार देना और गांव के विवादों को निपटाने के लिए कमेटी गठित करना ट्यूशन अध्यापकों की व्यवस्था करवाना कई अहम मुद्दों की घोषणा की गई है। अविनाश के इस दावों से लगता है अविनाश आने वाले पंचायत चुनाव में ताल ठोक सकते हैं। अविनाश पाण्डेय अपनी मांगों को लेकर चुनाव में ताल ठोकेंगे या नहीं वो तो देखने वाली बात होगी समय आने पर कितने वाले पूरे होते हैं और कितने वादे सिर्फ वादे ही रह जाते हैं। जबकि पंचायत चुनाव को अभी लंबा समय बाकी है। लेकिन अविनाश के द्वारा लगाए गए आरोपों ने जरूर सरकार और जनप्रतिनिधियों के गाल पर तमाचा जड़ा है।