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सपा विधायक विजमा यादव को डेढ़ साल की सजा

22 साल पुराने केस में MP-MLA कोर्ट का फैसला; पुलिस टीम पर हमला, हिंसा भड़काने का था आरोप

सपा विधायक विजमा यादव को MP-MLA कोर्ट ने डेढ़ साल की सजा सुनाई है। बाकी सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। कोर्ट ने धारा 147, 341, 504, 353, 332 और 7 सीएलए एक्ट के तहत सजा तय की है। सजा सुनाए जाने के कुछ ही देर बाद विजमा को कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। उन्हें सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।

कोर्ट ने 22 साल पुराने आगजनी और हिंसा से जुड़े केस में उन्हें दोषी ठहराया था। इस मामले में पुलिस टीम पर हमला, आगजनी और हिंसा फैलाने का आरोप था। विजमा यादव, प्रयागराज की प्रतापपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं।

सपा विधायक को किस धारा में कितनी सजा?

  • विजमा यादव को धारा 147 में 6 महीने की सजा, 5 हजार जुर्माना
  • धारा 341 में 6 महीने की सजा और 5 हजार जुर्माना
  • धारा 353 में 1 साल की सजा और 5 हजार जुर्माना
  • धारा 332 में डेढ़ साल की सजा और 5 हज़ार जुर्माना
  • 7 CLA ACt में 6 महीने की सजा और एक लाख जुर्माना।
  • विजमा यादव की सभी सजा एक साथ चलेंगी।

हिंसा मामले में 13 लोग बरी
विशेष अदालत ने शिव दास, विनोद, पवन, शिवप्रताप, अभय राज, चंद्रप्रकाश, अशोक पाल, दुर्गेश सिंह, राजू सिंह, जगन्नाथ, श्याम बाबू, हरिलाल और जंग बहादुर को बरी कर दिया है।

सहसो में प्रदर्शन के दौरान हुई थी हिंसा
21 सितंबर 2000 की दोपहर 2 बजे सहसो पुलिस चौकी के सामने श्याम बाबू के 7 साल के बेटे आनंद उर्फ छोटू की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद लोगों ने आनंद के शव को लेकर सड़क पर जाम लगा दिया था। भीड़ में कई लोग असलहे से लैस थे। मौके पर पहुंचे तत्कालीन थाना प्रभारी सराय इनायत कृपाशंकर दीक्षित और पुलिस की टीम पर पथराव हुआ था।

इसके बाद बवाल हुआ। आस-पास की गाड़ियों में भी आग लगा दी, तोड़फोड़ की गई। विजमा यादव पर भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है। घटना के बाद विजमा यादव समेत कई दर्जन लोगों के खिलाफ सराय इनायत थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी विजमा यादव के पारिवारिक कार्यक्रमों में शरीक होते रहे हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी विजमा यादव के पारिवारिक कार्यक्रमों में शरीक होते रहे हैं।

इंस्पेक्टर का बयान- विजमा ने ही भीड़ को उकसाया था
11 अक्टूबर 2022 को MP-MLA विशेष कोर्ट के न्यायाधीश डॉ दिनेश शुक्ला के सामने सहायक जिला शासकीय वकील सुशील वैश्य ने 11 गवाहों का बयान दर्ज कराया था। तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर महेंद्र प्रताप सिंह ने भी गवाही दी थी। महेंद्र प्रताप सिंह का कहना था कि भीड़ को उकसाने में विधायक विजमा यादव का हाथ था। उन्होंने ही भीड़ को हिंसक होने के लिए भड़काया था।

इस मामले में विष्णु दत्त दुबे तत्कालीन इंस्पेक्टर थरवई, कमालुद्दीन हेड कॉन्स्टेबल, महेंद्र प्रकाश सिंह कॉन्स्टेबल, द्वारिका प्रसाद यादव कॉन्स्टेबल, कड़े दिन यादव पीएसी बल, लाल मनी सिंह पीएसी, मनीष कुमार सिंह कॉन्स्टेबल, सुशील कुमार तिवारी कॉन्स्टेबल, महेंद्र प्रताप सिंह कॉन्स्टेबल, प्रेम प्रकाश शुक्ला PAC का अदालत के समक्ष बयान दर्ज किया गया था।

13 अगस्त 1996 को विजमा यादव के पति जवाहर पंडित की हत्या कर दी गई थी।
13 अगस्त 1996 को विजमा यादव के पति जवाहर पंडित की हत्या कर दी गई थी।

पति की हुई थी हत्या
विजमा यादव के पति जवाहर पंडित की 13 अगस्त 1996 को हत्या कर दी गई थी। प्रतापगढ़ के पॉश इलाके सुभाष चौराहे पर गाड़ी रोककर उनपर एके-47 से गोलियां बरसाई गई थीं। रामचंद्र त्रिपाठी उर्फ कल्लू ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया था। शहर के सबसे पॉश एरिए में ये पहला मौका था जब किसी की हत्या में AK-47 का उपयोग किया गया हो।

चार बार चुनाव जीत चुकी हैं विजमा
जवाहर पंडित की मौत के बाद उनकी पत्नी विजमा यादव को सपा ने आगे बढ़ाया। 1996 में उन्हें झूंसी सीट विधानसभा से चुनाव लड़ाया। जिसमें वह 12 हजार वोटों से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचीं। 2002 में 18 हजार वोट से जीतीं। 2007 में हारीं और 2012 में फिर जीत गईं। 2017 में हारीं और 2022 में फिर जीत दर्ज की।