बांदा। बचपन से ही शरीर के कुछ हिस्से में सफेद चकत्ते थे। गरीबी चलते इलाज नहीं करा पाए। शादी के बाद पति ने कुछ महीने इलाज करवाया। लापरवाही के चलते कई बार इलाज को बीच में ही छोड़ दिया। इसकी वजह से उनके दाहिने हाथ में दिव्यांगता आ गई। लगा कि जिंदगी खत्म हो गई लेकिन पति व बच्चों ने मनोबल बढ़ाया। यह कहना है कुष्ठ रोग पीड़ित राजाबेटी का। राजाबेटी बड़ोखर ब्लाक के किलेदार का पुरवा में रह कर यहां लोगों को कुष्ठ के प्रति जागरूक कर रहीं हैं। उन्होंने कुष्ठ रोग के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है।
45 वर्षीय राजाबेटी ने बताया कि बचपन से ही उनके शरीर में लाल चकत्ते निशान थे। शुरूआती दौर में माता-पिता ने इस पर कोई खास तवज्जो नहीं दी। शादी के बाद पति ने जिला अस्पताल में डाक्टर को दिखाया। जांच के बाद कुष्ठ रोग का पता चला। यह सुनते ही पति परेशान हो गए। डाक्टरों ने नियमितद वा खाने की सलाह दी। लेकिन उन्होंने लापरवाही के चलते दवा खाने में हीलाहवाली की। जिसका नतीजा रहा कि रोग धीरे-धीरे बहुत फैल गया। इससे उनके दाहिने हाथ की अंगुलियों में घाव हो गए। इससे दिव्यांगता आ गई। यहां डाक्टरों ने उन्हें नैनी जाकर इलाज की सलाह दी। वहां नियमित इलाज के बाद अब वह पूरी ठीक हैं। हाथ का घाव भी सही हैं। कुष्ठ से दिव्यांगता का दर्द महसूस करने के बाद वह चाहती हैं कि गांव में किसी को यह दर्द न झेलना पड़े। राजाबेटी गांव में कुष्ठ के बारे में लोगों को बताती हैं। अभी तक चार कुष्ठ रोगियों को अस्पताल पहुंचा चुकी हैं। इलाज के बाद वह चारों पूरी तरह ठीक हो चुके हैं।