- पुलिस व परिवहन विभाग बना मूकदर्शक और कंपनियों में चल रहा भारी वाहन सुरक्षा कार्यक्रम का आयोजन
रायबरेली (अमर चेतना)ऊंचाहार की सड़कों से प्रतिदिन निकल रहे ओवरलोड ट्रक जैसे बड़े वाहन प्रशासन की नाक के नीचे से गुजर रहे हैं। परंतु इन सब के बाद भी पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के साथ परिवहन विभाग और यातायात पुलिस के अधिकारी भी अंजान बने हुए हैं। कुछ दिन पूर्व इन्हीं कारणों से उमरन ऐश पौंड से सटे गांव के ग्रामीणों ने एनटीपीसी परियोजना प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की थी। बताते चलें कि एनटीपीसी परियोजना कोयले पर आधारित एक पावर प्लांट है जिस से निकलने वाली कोयले की राख को परियोजना तीन माध्यम से बाहर निकालती है पहला राख को सीमेंट फैक्ट्री में भेजना दूसरा तरीका दो ऐश डाइक बनाकर पानी के सहारे अरखा और उमरन ऐश पौंड में भेजना और यहां से इस राख को हाइवे सड़क निर्माण और पुल निर्माण के उपयोग में ट्रक और डंफर के माध्यम से भेजा जाता है।रेत से भरे यह वाहन अधिकतर ओवरलोड और ऊपर तक भर के गांव की सड़कों से निकलकर मुख्य मार्ग से बाहर जाती है इस बीच सड़कों पर यह ओवरलोड वाहन पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग की नजरों से भी बचे नहीं लेकिन फिर भी इन ओवरलोड वाहनों पर कार्यवाही करने पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।इन ओवरलोड वाहन के चालक मार्ग में मनमाने तरीके से चलते हुए कहीं भी किसी भी जगह सड़क के किनारे लगाकर गायब हो जाते हैं ।
जिसका खामियाजा सड़क पर चल रहे राहगीरों को भुगतना पड़ता है सूत्रों से जानकारी मिली है कि पूर्व में ही दो दिन पहले सड़क के किनारे राख से भरा एक ट्रक खड़े होने के कारण एक गांव निवासी राहगीर की खड़े ट्रक में लड़ जाने से जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।स्थानीय पुलिस महज खानापूर्ति के लिए दोपहिया और चार पहिया वाहनों की जांच अभियान के तौर पर करते हैं ओवरलोडिंग वाहनों पर कोई रोक-टोक नहीं देखा जा रहा है जबकि क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इन ओवरलोड वाहनों से गांव की नजदीकी सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं और रेत से भरे ओवरलोड ट्रक जिन्हें ऊपर से ढंका भी नहीं जाता है और निकलने वाले मार्ग में धूल के कण भी उड़ते रहते हैं जिससे लोग दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
अधिकतर सड़क हादसे इन ओवरलोड ट्रकों के द्वारा ही होते हैं ।हादसे का शिकार होते ही यह लोग अपने वाहनों को भगाने का प्रयास करते हैं और अधिकतर इन वाहनों में नंबर प्लेट भी गायब होती है। जिससे दुर्घटना के बारे में पुलिस को खबर देना भी अधूरी खबर देने जैसा ही रहता है।