फतेहपुर। महर्षि भृगु गौशाला की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किए साधू अभयदास झूठे मुकदमे में फंसाने की साजिश कर रहा है। उनके शिष्यों ने साधू के साथ कभी मारपीट नहीं की न ही उसका सामान फेंका है। साधू जबरन भूमि पर कब्जा किए है और आरोप-प्रत्यारोप लगाकर झूठे प्रार्थना पत्र जिला प्रशासन को दे रहा है।
यह बात सोमवार को ओम घाट भृगुधाम भिटौरा निवासी स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने चंदियाना वार्ड स्थित आश्रम में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। उन्होने बताया कि साधू अभयदास ने कुछ समय के लिए सावन के चतुर्मास में उनकी भूमि संख्या 1 क रकबा 0.7477 हे. के एक अंश में स्थित शिव मंदिर में रहने के लिए जगह ली थी लेकिन बाद में खाली करने से इंकार कर दिया। अराजकतत्वों के सहयोग से उनकी भूमि पर शिव मंदिर के चबूतरे से मिलाकर पश्मि एक छोटा कमरा जबरिया बना लिया। जिस पर उन्होने सिविल जज जू.डि. के समक्ष मुकदमा व स्थाई निषेधाज्ञा योचित किया। जो विचाराधीन है। साधू अभयदास अवैधानिक ढंग से जबरन उनकी महर्षि भृगु गौशाला की भूमि पर कब्जा करके कमरा निर्माण कराने का प्रयास कर रहा है। जिसके संबंध में एक दिसंबर 2022 को उप जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया। एसडीएम ने मौके पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया। शिव मंदिर से मिला हुआ कोई रिहायशी कमरा गौशाला की भूमि पर कभी नहीं रहा है। संपूर्ण भूमि महर्षि भृगु गौशाला के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। उक्त भूमि का सीमांकन भी नियमानुसार कराकर 27 जुलाई 2017 को पत्थरगढ़ी भी कराई है। बताया कि साधू अभयदास ने माह जून 2019 में भी जबरन निर्माण कराने का प्रयास किया था लेकिन उनके प्रार्थना पत्र पर प्रशान के हस्ताक्षेप के कारण निर्माण नही करा सका था। उन्होने कहा कि उन पर लगाये गये आरोप निराधार हैं। शिव मंदिर के आस-पास कभी कोई दुर्गा मंदिर अथवा दुर्गा मूर्ति नहीं रही। उनके शिष्यों ने अभयदास का कोई सामान नहीं उठाया और न ही मारपीट की है। अभयदास व उसके सहयोगी अराजकतत्व उन्हें बार-बार परेशान करने की नियत से झूठा प्रार्थना पत्र प्रशासन को दे रहे हैं।