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अपहरण व दुष्कर्म मामले में मुख्य दोषी को 10 साल, तीन अन्य को 7-7 साल की कैद

सोनभद्र, 18 जनवरी। नाबालिक लड़की का अपहरण एवं दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र निहारिका चौहान की अदालत ने बुधवार को सुनवाई करते हुए दोषी प्रवीण को 10 वर्ष की कैद एवं 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं तीन अन्य दोषियों को सात-सात वर्ष की कैद एवं 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर पांच-पांच माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अर्थदंड की समूची धनराशि 60 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक करमा थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने 11 जुलाई 2015 को थाने में दी तहरीर में बताया था कि उसकी बेटी 8 जुलाई 2015 को पढ़ने स्कूल गई थी, लेकिन वह घर नहीं लौटी। जब उसने स्कूल जाकर पता किया तो पता चला कि वह उस दिन स्कूल में पढ़ने गई ही नहीं थी। जब पुनः पता लगाया गया तो पता चला कि करमा थाना क्षेत्र के सिरसिया ठाकुराई गांव निवासी प्रवीण कुमार पुत्र रामानंद कोल भी गायब है। जब प्रवीण के मोबाइल पर फोन कराया गया तो उसने बताया कि वह कटनी जा रहा है और उसके साथ में पीड़िता भी है। उसे लेकर वापस आऊंगा, लेकिन वापस नहीं आया। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना की। पुलिस विवेचना के दौरान पीड़िता को बरामद कर लिया और अपहरण में शामिल तीन अन्य लोगों का नाम भी प्रकाश में आया। इसमें राकेश पुत्र शिवकुमार कोल, जितेंद्र पुत्र राजेंद्र कुमार निवासीगण सिरसिया ठाकुराई, थाना करमा तथा संदीप विश्वकर्मा पुत्र रामानंद उर्फ रामा निवासी तरावा, थाना राबर्ट्सगंज शामिल हैं। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दुष्कर्म के दोषी प्रवीण कुमार को 10 वर्ष की कैद एवं 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अपहरण के तीन दोषियों राकेश, जितेंद्र तथा संदीप विश्वकर्मा को सात-सात वर्ष की कैद एवं 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 5- 5 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश कुमार अग्रहरी, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।