नई दिल्ली। ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन को चार महीने से ज्यादा हो चुके हैं। इस दौरान 18 हजार से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें से एक हजार से ज्यादा को मुकदमा चलाकर फांसी देने की तैयारी की जा रही है। अब तक 20 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है और दो युवकों को फांसी पर लटकाया जा चुका है। जबकि, तीन ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। इनमें से एक की अपील खारिज कर मौत की सजा बरकरार रखी गई है।
अब तक 500 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की मौत
ईरानी रिवोल्युशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) की गोलीबारी से अब तक 500 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है। अब ईरानी लोग कट्टरपंथी (क्लेरिक) सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई में जुटे हैं। दिलचस्प बात यह है कि बिना किसी नेतृत्व के शुरू हुआ हिजाब विरोधी प्रदर्शन अब लोकतंत्र समर्थक आंदोलन में बदल रहा है और मौजूदा व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ युवा छात्र आईआरजीपी का मुकाबला कर रहे हैं।
आंदोलन की तपिश से ईरान के सख्त इस्लामी शासन के कालीन के नीचे सत्ता और शक्ति में टकराव से गृह युद्ध के खतरे का धुआं उठने लगा है। आईआरजीसी के ब्रिगेडियर जनरल हामिद अबजारी ने 30 दिसंबर को कहा था कि कुछ सैन्य कमांडर इस्लामी मूल्यों और सर्वोच्च नेता के शासन के खिलाफ खड़े हुए हैं। ईरानी मीडिया के मुताबिक, अबजारी आईआरजीसी के कमांडर मेजर जनरल हुसैन सलामी के सलाहकार हैं। लेकिन, आईआरजीसी के प्रवक्ता ने इसका खंडन करते हुए अबजारी की टिप्पणी को निजी बताया।