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नेपाल में राजनीतिक संकट समाप्त, प्रचंड देश के नए प्रधानमंत्री नियुक्त़़

काठमांडू। नेपाल में लंबे समय से जारी राजनीतिक संकट रविवार को समाप्त हो गया। पांच दलों के सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर आने के बाद सीपीएन-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, नवनियुक्त प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को शाम चार बजे होगा।

हालांकि भारत के दृष्टिकोण से प्रचंड का प्रधानमंत्री बनना उतना फायदेमंद नहीं होगा। प्रचंड के मुख्य समर्थक केपी शर्मा ओली के रिश्ते पहले से ही नई दिल्ली के साथ कुछ बेहतर नहीं रहे हैं।

राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से यहां जारी एक बयान के अनुसार, 68-वर्षीय प्रचंड को संविधान के अनुच्छेद 76(2) के अनुसार देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति ने प्रतिनिधि सभा के वैसे किसी भी सदस्य को प्रधानमंत्री पद का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित किया था, जो संविधान के अनुच्छेद 76(2) में निर्धारित दो या दो से अधिक दलों के समर्थन से बहुमत प्राप्त कर सकता हो।

प्रचंड (68 वर्ष) ने राष्ट्रपति द्वारा दी गई समय सीमा के समाप्त होने से पहले सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत किया था। संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त हो रही थी।

सूत्रों ने बताया कि प्रचंड सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय गए और सरकार बनाने का दावा पेश किया।

पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल प्रचंड के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए।

प्रचंड को 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 168 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें सीपीएन-यूएमएल के 78, सीपीएन-एमसी के 32, आरएसपी के 20, आरपीपी के 14, जेएसपी के 12, जनमत के छह, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य तथा तीन निर्दलीय शामिल हैं।

तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त प्रचंड को चीन का समर्थक माना जाता है। प्रचंड ने अतीत में कहा था कि नेपाल में बदले हुए परिदृश्य के आधार पर और 1950 की मैत्री संधि में संशोधन तथा कालापानी एवं सुस्ता सीमा विवादों को हल करने जैसे सभी बकाया मुद्दों के समाधान के बाद भारत के साथ एक नई समझ विकसित करने की आवश्यकता है। उनके मुख्य समर्थक ओली भी चीन समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं।

नेपाल पांच भारतीय राज्यों -सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1850 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करता है।

11 दिसंबर, 1954 को पोखरा के निकट कास्की जिले के धिकुरपोखरी में जन्मे प्रचंड करीब 13 साल तक भूमिगत रहे। वह उस वक्त मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए जब सीपीएन-माओवादी ने एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता त्यागकर शांतिपूर्ण राजनीति का मार्ग अपनाया।

इससे पहले ओली के आवास बालकोट पर बैठक आयोजित हुई, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ओली के अलावा प्रचंड तथा अन्य छोटे दलों के नेताओं ने प्रचंड के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति जताई। प्रचंड और ओली के बीच बारी-बारी से सरकार का नेतृत्व करने के लिए सहमति बनी है और प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर ओली ने अपनी रजामंदी जताई। सात दलों का नया गठबंधन सभी सात प्रांतों में भी सरकार बनाने की ओर अग्रसर होता दिख रहा है।

इस बीच, सीपीएन-मसल के महासचिव मोहन बिक्रम सिंह ने प्रधानमंत्री बनने के लिए सीपीएन-यूएमएल के साथ गठबंधन करने को लेकर प्रचंड की आलोचना की।