नमन आजादी के स्मृति प्रतीक अगस्त क्रांति मैदान …
– कुमुदेंद्र कलाकर सिंह
दुखी स्वयं जग का दुःख लेकर,
स्वयं रिक्त सबको सुख देकर,
जिनका दिया अमृत जग पीता,
कालकूट जिनका आहार !
नमन उन्हें मेरा शत बार !
दिनकर जी की पंक्तियां हैं कालकूट मतलब विष होता है जो स्वयं विष पीते हुए जग को अमृत पान कराते हो वह हिंदू धर्म के आराध्य शिव तुल्य माने जाते हैं ऐसे लोग मनुष्यों में भी पूज्यनीय माने जाते हैं आदरणीय और सम्माननीय माने जाते हैं। उपरोक्त पंक्तियां दिनकर जी ने आजादी प्राप्ति के लिए आजादी बचाये रखने के लिए शहीद हो गए लड़े या लड़ रहे सेनानियों को इंगित कर लिखी थी।
देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है हम आजादी के पचहत्तर साल पूरे कर लिए हैं तमाम कार्यक्रम और योजनाएं अमृत से जोड़ कर अमृत सरोवर अमृत वाटिका जैसे चल रहे हैं। माह अगस्त भी अमृत माह ही हो गया इसी महीने से आजादी का आह्वान और आजादी की प्राप्ति की दोनो अभूतपूर्व घटनाएं जुड़ी हुई है। आजादी के इस अमृत महोत्सव के स्वतंत्रता दिवस पर पूरे उत्साह भाव से हर घर तिरंगा , अमृत सरोवर ,अमृत वाटिका के ऐतिहासिक कार्यक्रमो से जुड़ कर अपार खुशी हुई यद्यपि किसी देश की आजादी के पचहत्तर साल बहुत नहीं होते फिर भी हर बनते बढ़ते आंकड़े उस इतिहास रचना के संकेत देते हैं जहां हम उम्मीद और शुभकामना कर सकते हैं कि अपना देश अनन्त काल तक इसी आजादी का अमृत पान करता रहेगा।
16अगस्त को मुंबई की आवश्यक यात्रा पर जाना पड़ा तो मन में इसे ईश्वरीय कृपा और संजोग समझे की स्वतंत्रता आंदोलन और आजादी के नेतृत्व करते शिवत्व को प्राप्त कर पूज्यनीय हुए गांधी जी के अंग्रेजों भारत छोड़ो के उद्घोष और आंदोलन की शुरुआत की धरती मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान में जाकर (आजादी के लिए विषपान करते हुए आज जो देश को अमृत महोत्सव का अवसर दे रहे हैं है )गांधी जी सहित सभी को वहां से नमन कर सकूं, कृतज्ञता और आभार ब्यक्त कर सकूं।यदि हमें आजादी का अनन्त काल तक अमृतपान करना है तो इन महापुरुषों के प्रति सम्मान आदर और कृतज्ञ भाव रखते हुए इनके बताये दिखाए रास्ते पर भी चलते रहना होगा।
मेरे पूछने पर कि गोवलिया टैंक (अगस्त क्रांति मैदान) कहां है चालक कुछ सटीक नहीं बता पाया बोला साहब यही बगल में हैं मैंने कहा सुबह का मैदान का दर्शन और मार्निंग वाक वहीं करेंगे पैदल ही चल दिया मैदान में पहुंच कर देखा गांधी जी से जुड़ा कोई प्रतीक यहां नहीं है फिर पता चला कि यह मैदान भी आजादी से जुड़ा आजादी क्रांति मैदान है 1931मे आजादी के लिए गांधी जी की हुई सभा इस मैदान की अब तक सर्वाधिक बड़ी और ऐतिहासिक सभा थी एक और क्रांति मैदान के दर्शन का अवसर मिलने से खुशी हुई सुबह का टहलना हुआ बाद मे पता चला यह जिमखाना क्रिकेट क्लब भी है जहां सचिन और कांबली की 664की रिकार्ड साझेदारी हुई थी बाद में पृथ्वी शाह ने पांच सौ से ऊपर का ब्यक्तिगत स्कोर भी यही बनाया था खुशी हुई, खुशी यह जानकर भी हुई कि इस मैदान ने और भी तमाम क्रिकेट खिलाड़ी पैदा किये है यद्यपि पिच पर बढ़ी हुई घास लंबे समय से यहां मैच न होने का एहसास करा रहे थे मैदान का एक बड़ा भाग धरना प्रदर्शन के लिए हो जाने से मैदान छोटा भी हो गया।इस मैदान से लौटकर आने पर पता अगस्त क्रांति मैदान का पता किया फिर मुंबई से रवानगी से पूर्व अगस्त क्रांति मैदान से होते हुए जाने का निश्चय किया।यह मैदान गिरिगाव चौपाटी से लगा हुआ है पहले यहा गाये वगैरह धोई नहलाई जाती थी इसलिए इसे गोवलिया मैदान कहते थे अंग्रेजों ने दूसरे विश्व युद्ध में भारत की आजादी की बात इस शर्त पर मानने को तैयार हुआ था कि इस युद्ध में भारत का सहयोग मिलने पर वह भारत को आजाद कर देगा लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेज अपने वादे और इरादे बदल दिये भारत की आजादी के अपने वचन से मुकर गये आठ अगस्त को कांग्रेस कार्य समिति में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत करने पर सहमति बनती है और नौ अगस्त को अगस्त क्रांति मैदान में गांधी जी जिनकी आवाज संपूर्ण भारत की आवाज बन चुकी थी,जिनका स्वर भारत का स्वर बन चुका था जिनके नेतृत्व में पूरा भारत अविभाजित खड़ा था बिना किसी जाति धर्म के विभेद के। अंग्रेजो के फूट डालने की सारी कोशिशों को विफल करते हुए गांधी जी ने आह्वान किया करो या मरो अंग्रेजो भारत छोड़ो। इस ऐतिहासिक अनवरत आंदोलन के चलते पांच साल बाद 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद होता है। इस मैदान में आकर एहसास होता है कि गांधी अपनो के साथ आज भी जीवित हैं और जीवित रहेंगे भी
“वे शिव तो मर- मर कर भी जीतें हैं
जो जग को अमृत बांट जहर पीते हैं।”
जय हिन्द 🇮🇳 जय भारत 🇮🇳