रिपोर्ट~अविनाश कुमार पाण्डेय
अभी मप्र में पत्रकार व अन्य व्यक्तियों को अर्द्धनग्न कर मप्र की सीधी जिले की पुलिस द्वारा वीडियो वायरल करने की यादें भूल नहीं पाया था कि उप्र के कानपुर जिले की महाराजपुर पुलिस का मामला उससे भी एक कदम आगे बढ़कर सामने आ गया।
बताते चलें कि कानपुर प्रेस क्लब के कार्यकारिणी सदस्य, कानपुर नगर निवासी व उत्तर प्रदेश/उत्तराखण्ड में प्रसारित एक टीवी चैनल के पत्रकार का वीडियो इन दिनों व्हाट्सअप ग्रुपों में खूब वायरल किया जा रहा है। हालांकि कानपुर प्रेस क्लब ने पत्रकार को बाहर का रास्ता दिखाते हुए किनारा कर लिया है और आरोपित किया है कि पत्रकार का विवाद अपने परिजनों से चल रहा है। इसीलिये उन्हें क्लब से बाहर का रास्ता दिखाया गया है और निन्दा भी कर दी।
व्हाट्सअप ग्रुपों में वायरल हो रहे वीडियों में टीवी चैनल के पत्रकार के गले में टीवी चैनल का आई कार्ड दिख रहा है और शरीर में कपड़ों के नाम पर सिर्फ मोजे व जूते दिख रहे हैं। वायरल वीडियो में पुलिसकर्मी पत्रकार से नग्नावस्था में ही परिचय पूंछ रहे हैं जबकि किसी भी तरह की पूंछतांछ तो कपड़े पहनाने के बाद भी की जा सकती थी।
वायरल वीडियो महाराजपुर थाने का बताया जा रहा है और आशंका जताई जा रही है कि यह वीडियो थाने के पुलिसकर्मियों ने ही बनाया। वीडियो बनाने के बाद पत्रकारिता जगत को बेइज्जत करने व पत्रकार को जलील करने के उद्देश्य से ही सुनियोजित तरीके से उसे सोशल प्लेटफॉर्म पर वायरल कर दिया है।अब सवाल यह उठता है कि किन परिस्थितियों में पत्रकार को नग्न (वस्त्रहीन) किया गया या हो गया ?? क्या हालात रहे क्या विवाद हुआ, यह जांच का विषय हो सकता है? किन्तु पत्रकार ने अगर कोई अपराध किया था तो उसी के आधार पर कानूनी दायरे में कार्रवाही की जानी चाहिये थी। लेकिन नग्नावस्था में पत्रकार का वीडियो बनाकर फिर उसे वायरल करने के पीछे पुलिसकर्मियों की मंशा क्या रही है? क्या ऐसे वीडियो को बनाकर सोशल प्लेटफॉर्म पर वायरल कर देने के पीछे कोई सम्मानपत्र मिलना तय है या फिर किसी के इशारे पर ऐसा किया गया ?
मामला कुछ भी हो लेकिन एक पत्रकार का वीडियो बनाकर जिस तरह से वायरल किया गया है। हम सभी उसकी घोर निन्दा करते हैं और इस कृत्य को अन्जाम देने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग करता है।