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आखिर कब तक होता रहेगा जातियों के आधार पर गरीबी का आकलन, गरीब ब्राह्मण का कच्चा मकान गिरा आई गंभीर चोटें

फतेहपुर : गरीबी किसी की जाति पूछकर नहीं आती है। लेकिन सरकारो ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए गरीबी को भी एक विशेष जाति से जोड़ दिया है। चाहे यूपीए की सरकार रही हो या फिर एनडीए की हमेशा गरीबी का अगर आकलन किया गया है तो सिर्फ जाति देखकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को दिया जाने वाला आवास हो या फिर उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर इन सब में सबसे ज्यादा वरीयता एक विशेष जाति को दी जाती है। बड़ा सवाल यह है कि कोई अगर सवर्ण है तो क्या वह गरीब नहीं हो सकता?

लेकिन सरकारों ने देश की जनता को जातियों में बांट कर बारी बारी से जमकर छला है। ताजा मामला फतेहपुर जनपद की हुसैनगंज से है हुसैनगंज क्षेत्र के फर्शी गांव के आशा प्रसाद शुक्ल की पत्नी उषा देवी घर पर थी। और शनिवार शाम लगभग चार बजे रिमझिम बारिश से उनकी छत ढह गई। छत गिरता देख उषा देवी भागी तो लेकिन खुद को बचा ना सकी छत का मलबा उनके पैरों पर गिरा और पैर पर गंभीर चोट आ गई। ग्रामीण बताते हैं कि आशा प्रसाद शुक्ल के पास रहने के लिए सिर्फ़ यही एक कच्ची कोठरी थी । उसको रिमझिम बारिश ने छीन कर आशा प्रसाद को बेघर कर दिया। लेकिन सबका साथ सबका विकास की बात करने वाली देश की एनडीए सरकार ऐसे गरीबों पर शायद ध्यान नहीं दे रही है। अब देखने वाली बात यह है की बेघर हो चुके आशा प्रसाद को कब तक ऐसे ही गुजारा करना पड़ेगा या फिर जिला प्रशासन मामले को गंभीरता से लेते हुए पीड़ित आशाप्रसाद को प्रधान मंत्री आवास योजना का लाभ देगा।ब्राह्मणों की रहनुमाई करने वाले संगठन मदद के लिए आगे आते हैं या फिर सरकार छत मुहैया करवाएगी।

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