रिपोर्ट अविनाश पाण्डेय
ऊंचाहार, रायबरेली (अमर चेतना ब्यूरो) वैसे तो ऊंचाहार तहसील प्रशासन में सरेआम चल रही रिश्वतखोरी का खुलासा समय समय पर होता रहता है। कभी वरासत के नाम पर रिश्वत की मांग का ऑडियो वायरल हुआ तो कभी किसी लेखपाल ने किसी की जमीन किसी दूसरे के नाम बैनामा कर दी गई। ये बात और है की कोई बचा तो किसी की पोल खुलने के बाद उस पर कार्यवाही भी हुई। लेकिन गजब की बात ये है लेखपाल भी तगड़ा दिमाग लगाते हैं। अपने साथ एक सहायता के लिए मुंशी रखते हैं जो लेखपाल का वसूली एजेंट होता है। कभी किसी ने कुछ सबूत भी जुटा लिया तो लेखपाल साहब साफ बचे होते हैं , लेकिन घूस की रकम मांगते समय चाहे जो मांगे वो यही कहता है की हमे ऊपर तक देना होता है। अब जब बात आती है तहसीलदार से जुड़े कार्यों को करवाने लिए तो उसके लिए पहले मालबाबू से मिलना होता है मालबाबू आपकी आवभगत से खुश हुए तो ठीक नहीं महीनों चक्कर लगाना पड़ता है। इंसान थकहार कर तहसील परिसर के दलालों के चक्कर में फंसकर रिश्वत देने को मजबूर हो जाता है। ताजा मामला ऊंचाहार तहसील क्षेत्र के पूरे ठकुराइन मजरे कजियाना का है यहां पर खलिहान की जमीन पर निर्माण कर रहे पवन यादव का घर लेखपाल और तहसीलदार ने गिरवा दिया। मामले ने तूल तो तब पकड़ा जब ग्रामीणों ने मिलकर जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव कर प्रर्दशन करते हुए लेखपाल और तहसीलदार अजय गुप्ता पर एक लाख रूपए घूस मांगने का आरोप लगाया। पवन यादव ने कहा की हम कई वर्षों से निर्माण कर रहे थे तब कोई नहीं आया छत पड़ने के एक दिन पूर्व लेखपाल साहब आए और उन्होंने मुझसे एक लाख रूपए की मांग की और कहा की मुझे ऊपर तक देना होता है। मैंने उनसे दो दिन का टाइम भी मांगा लेकिन मेरा घर गिरवा दिया गया। इसकी जांच करके कार्यवाही की जाय। इस मामले की सच्चाई क्या है ये तो जांच के बाद ही पता चल पायेगा। लेकिन लगातार ऊंचाहार तहसील प्रशासन पर लगने वाला घूसखोरी का आरोप चिंता का विषय जरूर है।