कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड ने एक बार फिर यू टर्न लिया है। इस मामले में हाईकोर्ट से स्टे होने के बाद एक नया मामला सामने आया है। जांच करने एक बार फिर CBI ने गोरखपुर में दस्तक दी है। 27 सितंबर 2021 की रात गोरखपुर में हुई मनीष गुप्ता की हत्या में 7 लोग शामिल थे।
घटना के वक्त घटनास्थल पर 6 पुलिसवालों के अलावा एक अन्य व्यक्ति भी वहां मौजूद था। जांच में CBI को इसके CCTV फुटेज भी मिले हैं। हालांकि, वह घटना में शामिल था या नहीं? इसी का सबूत जुटाने एक बार फिर CBI ने जांच शुरू कर दी है। हालांकि, वह व्यक्ति पुलिस विभाग का नहीं है। वह पुलिस का होमगार्ड बताया जा रहा है। इसके अलावा CBI पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में लगे मनीष के चोटों का भी सबूत जुटा रही है।
वहीं, घटना के वक्त मनीष के हाथों में सोने की ब्रेसलेट और उसके पास 85 हजार रुपए कैश भी मौजूद थे। जिसका घटना के बाद अब तक कुछ पता नहीं चला। इन सभी पहलुओं को सुलझाने मंगलवार को लखनऊ से CBI टीम एक बार फिर गोरखपुर पहुंची। टीम में इस मामले की विवेचना करने वाले इंस्पेक्टर के अलावा दो अन्य सदस्य आए हैं।
मंगलवार को CBI सबसे पहले BRD मेडिकल कॉलेज पहुंची। यहां टीम ने करीब साढ़े चार घंटे तक घटना के बारे में बारीकी से पड़ताल की। टीम ने घटना के समय मौजूद रहे EMO (इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर) डा. एके श्रीवास्तव, फार्मासिस्ट एसपी चौधरी के अलावा रेजिडेंट और वार्ड ब्वाय से पूछताछ की। CBI अपने साथ पुराने रिकार्ड की भी लेकर आई थी।
पहले के बयान से मैच कराए नए बयान
CBI मंगलवार की दोपहर करीब 12.30 बजे BRD पहुंची। टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर ने घटना के समय ड्यूटी पर रहने वाले EMO डॉ. एके श्रीवास्तव, फार्मासिस्ट एसपी चौधरी, रेजिडेंट और वार्ड ब्वाय को फोन कर मेडिकल कालेज बुलाया। बंद कमरे में इन लोगों से टीम ने साढ़े चार घंटे तक पूछताछ की।
CBI ने EMO और अन्य लोगों से पूछा, घटना के बाद नेहरू चिकित्सालय में जब मनीष गुप्ता को ले जाया गया था तो वहां क्या-क्या हुआ था? पहले दर्ज हुए बयान से मंगलवार को दिए गए बयान को मिलाया भी किया गया।
27 सितंबर, 2021 की रात हुई थी मनीष गुप्ता की हत्या
कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में 27 सितंबर की रात पुलिस की पिटाई से मौत हो गई थी। परिवार वालों ने पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाया था।
मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने रामगढ़ताल थाने पर तैनात रहे इंस्पेक्टर जगत नारायण, दरोगा अक्षय मिश्र, राहुल दुबे, विजय यादव, कॉन्स्टेबल कमलेश यादव और आरक्षी प्रशांत सहित 6 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज कराया है।
CBI नहीं साबित कर सकी हत्या
पहले इस मामले की जांच कर रही कानपुर SIT हत्या और गैर-इरादतन हत्या में उलझी हुई थी। इस बीच मृतक के परिवार ने मामले की जांच CBI से कराने की मांग की थी। इसके बाद 2 नवंबर को CBI ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू की। 7 जनवरी, 2022 को टीम ने इस मामले में हत्या की चार्जशीट दाखिल कर दी।
इस मामले में हत्या का केस तो 28 सितंबर की रात को ही दर्ज हुआ था। पहली गिरफ्तारी 10 अक्टूबर को इंस्पेक्टर जगत नारायण और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा की हुई थी। ऐसे में CBI के पास चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन यानी कि 10 जनवरी तक का ही वक्त बचा था।
तय समय में ही CBI ने मामले की जांच पूरी कर इस केस में चार्जशीट दाखिल कर दी। लेकिन, CBI इस मामले में कोर्ट में सभी पुलिस वालों पर हत्या साबित नहीं कर सकी। शायद यही वजह है कि इंस्पेक्टर जगत नारायण को छोड़कर अन्य सभी पुलिस वालों के खिलाफ हत्या की धारा कोर्ट में हटा दी गई।