साधकों व विभिन्न संगठनों ने ज्ञापन सौंपकर की संतश्री की तत्काल रिहाई की मांग
प्रयागराज। जिलाधिकारी कार्यालय में आज 31 अगस्त- भारत के इतिहास का सबसे काला दिन जिस दिन भारतीय संस्कृति के गौरव निर्दोष हिंदू संत को फर्जी केस में जेल भेजा गया। आज तक उनके खिलाफ एक भी आरोप सिद्ध न होने पर भी 86 वर्षीय हिन्दू संत के खिलाफ सत्ताधीशों और न्यायपालिका द्वारा संवैधानिक धज्जियां उड़ाकर, उनके मानवाधिकारों का हनन करके जेल में रखने पर साधकों व अन्य संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर संतश्री की तत्काल रिहाई की मांग की।
महामहिम राष्ट्रपति के नाम अपर जिलाधिकारी को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि यह एक ऐसा केस है जिसका न सर है और न पैर, घटना जोधपुर (राजस्थान) की बताकर, 5 दिन बाद रात 2:45 पर दिल्ली में मुकदमा दर्ज कराके निर्दोष हिंदू संत आशारामजी बापू को साजिशन कारावास में रखकर रेप का दुष्प्रचार किया गया।
जबकि एफ.आई.आर. में रेप शब्द तक नहीं है, मेडिकल रिपोर्ट में भी रेप का कोई स्टेटमेंट नहीं है। तो निर्दोष संत को जेल में क्यों रखा गया है। आखिर यह सब किसके इशारे पर बिकाऊ मीडिया रेप-रेप चिल्ला रही है। एक लड़की की आवाज तो कोर्ट को समझ आ गई, जिसने फर्जी आरोप लगाया। यहां लाखो करोड़ों महिलाएं चीख-चीख कर कह रही हैं कि बापूजी निर्दोष हैं। ये हमारी मन की बात कब सुनी जाएगी। महिलाओं ने सरकार को चेताया कि समय रहते हिंदू संतो को रिहा करे। नहीं तो एक बहुत बड़ा जन आंदोलन शुरू करेंगे।
ज्ञापन में कहा गया है कि नेताओ, अभिनेताओं, आंतकियों समेत बड़े-बड़े आरोपियों को बेल दे दी गई और हिन्दू संत जिन पर आज तक कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ, फिर भी उन्हें जेल में रखकर आखिर न्यायपालिका किस कानून की बात करती है। क्या बेल का प्रावधान केवल दोषियों को रिहा करने के लिए है। संत आशारामजी बापू को 9 वर्ष में 1 दिन की भी बेल और पैरोल न देना, आखिर किसके इशारे पर ये षड्यंत्र चल रहा है। सभी ने हिन्दू संत आशाराम बापू के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ जमकर आवाज बुलंद की और सरकार व न्यायपालिका से न्याय की अपील कर निर्दोष संत को रिहा करने की मांग की।