झांसी के कलेक्ट्रेट में लोगों की लंबी लाइन है। चेहरे पर परेशानी… मगर आंखों में एक आस है कि उनकी डूब चुकी जमापूंजी वापस मिल सकेगी। ऐसा अनुमान है कि सहारा इंडिया समेत चिटफंड कंपनियों में करीब 1800 करोड़ रुपए का उनका निवेश फंस गया है। अब यूपी शासन ने ऐसे लोगों की लिस्टिंग के लिए एडवाइजरी जारी की। तो सिर्फ 2 घंटे में करीब 617 लोगों ने अप्लाई कर दिया।
6 फरवरी से अब तक 1123 लोग सामने आए
कलेक्ट्रेट में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के न्यायालय कक्ष में अलग से एक विंडो खोला गया है, जिस पर पिछले 6 फरवरी से आवेदन लिए जा रहे हैं। वर्किंग 5 दिनों में 506 पीड़ितों ने आवेदन किया था। जबकि, सोमवार को पीड़ितों की भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ को देखते हुए एक की जगह दो विंडो खोलनी पड़ी। दोपहर 3 से 5 बजे की बीच 617 पीड़ितों ने आवेदन किया।
इन लोगों की परेशानी महानिदेशालय के पोर्टल पर अपलोड होगी
सोमवार को हालत ये हो गए कि सुबह से ही पीड़ित कलेक्ट्रेट में आना शुरू हो गए। दोपहर तक महिला और पुरुषों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं। लोगों ने आवेदन जमा करने के लिए घंटों इंतजार किया। बता दें कि यहां आवेदन 6 मार्च तक दोपहर 3 से शाम 5 बजे तक जमा किए जाएंगे। इसके बाद आवेदनों को संस्थागत वित्त, बीमा एवं बाह्य सहायतित परियोजना महानिदेशालय के पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इसके बाद निस्तारण की दिशा में कार्यवाही होगी।
1 दशक में कई स्कीमों के जरिए लोगों को ठगा
सहारा इंडिया समेत कई चिटफंड कंपनियों ने पिछले 1 दशक में कई स्कीम लॉन्च की। इसमें जमीन में निवेश करने, रुपए को फिक्स पीरियड में डबल करने का दावा किया गया। कई स्कीम में लोगों को चेन बनाकर बिजनेस करने के लिए कहा गया। थोड़ी-थोड़ी रकम लगाने वालों को शुरुआती दौर में अच्छा रिटर्न दिया गया।
मगर फिर कंपनियों ने बड़ी रकम को जब्त करके अचानक अपना बिजनेस समेट लिया। अब करीब सहारा इंडिया समेत तमाम चिटफंड कंपनियों में झांसी के लोगों के लगभग 1800 करोड़ रुपए फंसे हुए है। कई सालों से पीड़ित प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले दिनों पीड़ितों ने महानगर में जाम लगा दिया था। तब अधिकारियों ने पैसा दिलाने का भरोसा दिया गया था। अब प्रशासन ने आवेदन के साथ ब्योरा मांगा तो लोगों को एक उम्मीद जगी है कि प्रशासन के एक्टिव होने से अब पैसा मिल जाएगा।